लो फैट पनीर रेसिपी हिंदी में | low fat paneer recipe

low fat paneer recipe

low fat paneer

लो फैट पनीर वह पनीर होता है जिसमें कम मात्रा में मलाई या फैट होती है। इसका उपयोग व्यंजनों में किया जाता है जब आप उच्च कैलोरी या फैट की रसीदार चीज़ों का सेवन कम करना चाहते हैं, लेकिन अभी भी पनीर के पोषक गुणों का लाभ उठाना चाहते हैं। इसे घर पर बनाने के लिए, आप दूध को उबालकर निम्बू के रस या सिरके के साथ जमाना और फिर पनीर बनाने के पारंपरिक तरीके का पालन कर सकते हैं, लेकिन इसमें कम मात्रा में मलाई का उपयोग करें।

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low fat paneer bnane ki vidhi

लो फैट पनीर बनाने की विधि।low fat paneer १) एक कड़ाही में दूध को गरम करें। ध्यान रखें कि दूध को उबालने नहीं देना है, बल्कि सिर्फ गरम करना है।

२)गरम दूध में निम्बू का रस या सिरका डालें।

३)दूध को हल्का-फुल्का मिलाएँ और धीरे-धीरे उबालें।

४)जब दूध खूबसूरती से उबलने लगे, उसे गैस से उतार लें।

५)अब, दूध के पानी को छाननी से अलग करें और बचा हुआ पनीर को छान लें।

६)छाने हुए पनीर को ठंडा होने दें और उसे पतले टुकड़ों में काट लें।

आपका लो फैट पनीर तैयार है! इसे व्यंजनों में इस्तेमाल करें या उसे फ्राइ करके भी सेवन कर सकते है।


लो फैट पनीर की पहचान करने के लिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकते हैं:

१) रंग: लो फैट पनीर आमतौर पर सादे और सफेद रंग का होता है। यह अधिक मात्रा में मलाई नहीं या कम मात्रा में होता है इसलिए इसका रंग पर्याप्त गोरा होता है।

२) टेक्स्चर: लो फैट पनीर धाराप्रद और ढीला नहीं होता है, बल्कि यह सामान्यत: संगठित और सुगम होता है।

३) खुशबू: यह पनीर साधारणत: मधुर और दूध की खुशबू वाला होता है।

४) टेस्ट: यह मिठासी और मलाईदार होता है, लेकिन अधिकतम आधा ग्राम के तेल या अधिकतम आधा ग्राम के मक्खन प्रति 100 ग्राम में होता है।

५) पैकेजिंग: अधिकांश बाजार में लो फैट पनीर को उपयुक्त पैकेजिंग में प्रदान किया जाता है, जो इसकी गुणवत्ता और ताजगी को बनाए रखने में मदद करता है।

इन चरित्रित गुणों के आधार पर, आप लो फैट पनीर को आसानी से पहचान सकते हैं।

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लो फैट पनीर को आमतौर पर 3-4 दिनों तक फ्रिज में सुरक्षित रखा जा सकता है, परंतु इसे ताजा रखने के लिए उपयुक्त तरीके से संरक्षित किया जाना चाहिए। अगर आप इसे बनाते हैं, तो ताजा पनीर का सेवन प्राथमिकता होना चाहिए और इसे फ्रिज में संभाला जाना चाहिए। अगर आपको लगता है कि उसका स्वाद कुछ बदल गया है या उसमें कोई खराबी आ गई है, तो इसे तुरंत इस्तेमाल न करें और बेहतर है उसे फेंक दें। कभी-कभी, देखभाल और संरक्षण के अनुकूल रूप से, यह 4-5 दिनों तक भी ताजगी बनाए रख सकता है।

लो फैट पनीर खराब या कठोर व कडवा होने के मुख्य कारण!

1. उबालने की गलती: अगर दूध को ज्यादा समय तक उबाला जाता है या अधिक तापमान पर पकाया जाता है, तो पनीर कड़वा या कठोर हो सकता है।

2. निम्बू का रस या सिरका की मात्रा: अगर आपने पानी को पनीर की सही छाइ के लिए सही मात्रा में निम्बू का रस या सिरका डाला है, तो पनीर में कड़वाहट आ सकती है।

3. छानने की गलती: अगर पनीर को छानने के दौरान पानी अच्छे से नहीं निकाला जाता है, तो वह कड़वा हो सकता है।

4. पकाने की प्रक्रिया: पनीर को पकाने की प्रक्रिया में अगर कोई गलती हो गई हो, जैसे कि अधिक उबालना, अधिक तापमान पर पकाना, या अधिक अवधि तक पकाना, तो पनीर कड़वा हो सकता है।

इन समस्याओं का उपाय करते समय ध्यान दें कि आप सही मात्रा में सामग्री का उपयोग करें और सही प्रकार से पकाएं। इसके अलावा, उचित ध्यान और सावधानी बरतें, तो आपका पनीर स्वादिष्ट और सही ढंग से बनेगा।



लो फैट पनीर को उपभोग(सेवन) किसे नहीं करना चाहिए!

१) लैक्टोज अवितल लोग: वे लोग जिन्हें लैक्टोज प्रतिक्रिया है, जो दूध और दूध उत्पादों को नहीं पचा सकते, उन्हें लो फैट पनीर नहीं खाना चाहिए।

२) पनीर के खिलाफ एलर्जी: यदि किसी को पनीर या उसमें पाई जाने वाली किसी भी संबंधित खाद्य पदार्थों के खिलाफ एलर्जी है, तो उन्हें लो फैट पनीर से दूर रहना चाहिए।

३) मेडिकल निर्देशन: कुछ व्यक्तियों को डॉक्टरों की सलाह पर प्रोटीन या फैट की मात्रा को संयंत्रित करने की जरूरत होती है, इसलिए उन्हें भी लो फैट पनीर का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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