Chna dal/ चना दाल रेसिपी

नमस्ते दोस्तो

चना चना एक प्रमुख दाल(Pulses) की फसल है। चना के आटे को 'बेसन' कहा जाता है, जो पूरे भारत मे प्रचलित है।
चना चने को घन्टी में पीस कर दोनो पत्रक अलग अलग होने पर चने की दाल मिलती है, जिसे चना दाल के नाम से जाना जाता है। चना दाल गुणकारी है। चना दाल को पीसकर आटा बनाया जाता है, जो बेसन के रूप में जाना जाता है। बेसन से कई प्रकार के व्यंजन बनाये जाते है।
ऐसा कौन होगा जिसे दाल खाना पसंद न हो,दाल का आकार जितना छोटा होता है, वह शरीर के लिए उतना ही ज्यादा फायदेमंद होती है। दाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसे खाने से एनर्जी बनी रहती है।दाल में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, आयरन, फाइबर, रेशे, जिंक जैसे अनेक पोषक तत्व शामिल है।

दाल के प्रकार

१ साबुत दाल

२ दाल

३ धुली दाल

४ पोलिश हुई दालें


जैसे दाल के प्रकार है, वैसे ही इसमे गुण भी पाए जाते है, आइए जानते है आप कोनसी दाल खाते है और आप को दाल से कितने पोषक तत्वों मिलते है।

१ साबुत दाल

साबुत दालों में छिलका समेत पूरे दाने होते है, जैसे आप पिच्चर में देख सकते है।

फायदे-

● आप यह दाल को अंकुरित किए बिना भी खा सकते है।
● अगर आप पक्काकर सेवन करे तो भरपूर मात्रा में आपको फाइबर मिलता है।
● दाल में प्रोटीन की अच्छी मात्रा, विटामिनA,B,C,E कई मिनरल, पोटेशियम, आयर्न,कैल्शियम इत्यादि मिलते है।

नुकसान-

● जिनका पाचन कमजोर हो या फिर जिन्हें छिलके वाली दाल पचती न हो उन्हें गैस,अपच की परेशानी हो सकती है।
● साबुत दालें गलाने में ज्यादा वक्त लगता है।
● कई लोगो को स्वाद अच्छा नही लगता है।

छिलके वाली दालें

दाल को जब दो या तीन,चार हिस्से में छिलके के साथ टूटी होती है।

फ़ायदे -

जब भी बीज से दाल बनाते है उसमें दाल के छिलके बहोत ही कम हो जाते है। जो लोगो को साबुत दालें खाने में परेशानी होती है, व लोग छिलके वाली दाल खा सकते है। इसमे प्रयाप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन, मिनरल मिलते है। कई लोग को इसका स्वाद भी साबुत दाल की तुलना में अच्छा लगता है।

नुकसान -

यह दाल में साबुत दाल की तुलना में विटामिन और मिनरल कम मिलते है। साथ ही फाइबर की मात्रा भी कम हो जाती है।

धुली हुई दालें

धुली दालों में छिलका नही होता है।

फायदे-

धुली दाल को पकाने बहोत ही आसान है। इसका स्वाद भी लोगो को ज्यादा अच्छा लगता है। इनसे भी प्रोटीन, मिनरल ओर विटामिन मिलते है।

नुकसान -

धुली दालों में फाइबर की मात्रा काफी कम हो जाती है, साथ ही, साबुत ओर छिलके वाली दालों की तुलना में मिनरल और विटामिन भी कम हो जाते है।

पोलिश हुई दालें

पोलिश की हुए दालों में छिलका बिलकुल नही होता है। यह दाल को देखने पर यह दाल सबसे ज्यादा चमक होती है। दालों को पोलिश करने के लिए कुछ कम्पनियां दालों चमकाने के लिए दाल की बाहरी परत भी हटा देती है।

फायदे -

पोलिश की हुई दाले सबसे जल्दी गल जाती है। सबसे अच्छी दिखाई देती है। इनसे भी प्रोटीन और मिनरल मिलते है।

नुकसान-

छिलका और बाहरी परत हटाने की वजह से इसमे फाइबर की मात्रा काफी कम हो जाती है। साथ ही प्रोटीन, मिनरल ओर विटामिन भी कम मिलते है। पोलिश दालें को बाकी दालों की तुलना में सेहत के लिहाज से कम आंका जाता है।

आप ने उपरोक्त दालों जो बीज से लेकर दालो को हररोज किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करते है। पर हमें दालों की गुण वत्ता का पत्ता नही होता है, ओर हमे छोटी मोटी बीमारी होती है जिससे हमें दवाई का बहोत सारा बिल चुकाना पड़ता है।



चना दाल रेसिपी


सामग्री

  • १ कप चना दाल
  • १ कप बारीक कटा टमाटर
  • १/२ बारीक कटा प्याज
  • १ बड़ा चम्मच बारीक कटा अदरक और लहसुन
  • २ हरी मिर्च लम्बी कटी
  • १/४ चम्मच जीरा
  • १/४ चम्मच हल्दी
  • १/४ चम्मच गरम मसाला
  • १/२ धनियां पाउडर
  • १ चुटकी हींग
  • २ खड़ी लाल मिर्च
  • १ कप हरी धनिया कटी हुई

विधि

चना दाल को धोकर 180 मिनिट पहले पानी मे भीगा दे।

चना दाल को कुकर में डालें,२ कप पानी डालें और आधी हल्दी और आधा नमक डालें ओर दाल को गल जाने तक उबाले।

कढ़ाई में घी या तेल जरूरत के हिसाब से गर्म करें, जीरा और हींग डाल कर प्याज, हरी मिर्च, लहसुन और अदरक डाले और सुनहरा होने तक भूने।

हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, आधा लाल मिर्च पाउडर डालें व कुछ समय तक भूने, कटे हुए टमाटर और बचा हुआ नमक डालें के टमाटर के गलने तक पकाएं, गरम मसाला डालकर अच्छे से मिला दे।

उबली हुई दाल( कुकर में) को मसाले में डाल के पानी मिला के दाल को एक उबाल आ जाने तक पकाएं हरी धनिया डाल के मिला दे।

एक तड़का पैन में आधा चम्मच घी डाल के गरम करे सुखी लाल मिर्च डाल के हल्का सा पकाएं गैस बंद करके मिर्च पाउडर डाल के ऊपर तड़का दाल दे।

हरी धनिया से गार्निश करके गरम गरम ढाबे वाली चना दाल चावल,रोटी के साथ सर्व करें।
खून की कमी दूर करने के लिए रामबाण इलाज है, चना दाल....

चना दाल के लाभ


चने की की दाल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जिससे बड़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

चना दाल में जिंक, प्रोटीन, कैल्शियम व फोलेट का सोर्स होता है।

मधुमेह को कंट्रोल की लिए चना दाल बहुत अच्छी मानी जाती है।

दाल में भी फैट कम होता है, जिससे वजन कम करने वालो को ये ज्यादा से ज्यादा दाल का सेवन करना चाहिएं।

चना दाल स्वाद में बहोत अच्छी होती है। पोष्टिकता से भरी ये दाल आसानी से पच जाती है।

पीलिया हो जाये तब चने दाल का सेवन से रिकवरी जल्द होती है।

चना में एमिनो एसिड शरीर कोशिकाओं को मजबूत करता है।

चना दाल से नुकसान


चना दाल अगर आप ज्यादा खाते है तो इसका सीधा असर आपके गुर्दे पर होता है, आपके गुर्दे में पथरी होने का खतरा होता है।

दाल खाने से गैस की समस्या होती है।

दाल खाने से हमारे शरीर मे विशाक्त पदार्थ बाहर नही निकलते ओर यह काफी नुकसानदायक होता है।

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