भारतीय मसाला

indian masala

भारतीय मसालों का उपयोग सूखे बीज,पत्तियों, फूलो, छाल, जड़ो, फलों, के रूप में किया जाता है। और कुछ मसालों को पीसकर पाउडर के रूप उपयोग किया जाता है।

बीज मसाले


● बीज को ही सीधे मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे, अजवाइन, अनारदाना, सौफ, धनिया, जीरा, भारतीय दाल,मेथी, सरसों, खसखस या पोस्ता, वगैरे;

पत्ती मसाले


● कुछ मसाले पत्ते जो अपनी खास महेक, तेज, से अलग ही पहचान से वह पत्ते मसाले की श्रेणी मे आते है, तुलसी, तेजपत्ता, पुदीना, सेज अन्य

फूल/फल मसाले


● फूल या फल भी मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। जायफल, कोकम, गदा, जुनिपर, वेनिला वगैरे

जड़ मसाले


● जड़ भी मसाले के रूप में मसलों में उपयोग किया जाता है, जिसमे लहसुन, अदरक, प्याज, हल्दी आदि।


हल्दी गुणों का खजाना है, हल्दी कन्द है जिसे आसानी से घर पर उगाया जाता है। इसका पौधा बारामासी होता है। यह पौधा गर्मी में होता है पर धूप इसको पसन्द नही है।हल्दी के पत्ते,तना ओर कंद सभी का प्रयोग भोजन और औषधि में होता है।

अदरक

अदरक भी एक कन्द है, अदक के बीज नही होते है। अदरक के छोटे छोटे टुकड़े को जमीन में गाढ़ कर इसे फसल ली जाती है।अदरक एक महत्वपूर्ण मसाले की फसल है। अदरक का उपयोग भोजन बनाने में किया जाता है। सर्दियों में खाँसी-जुकाम होने पर, अन्य बीमारी के लिए भी फायदेमंद होता है।

धनिया पाउड़र

धनिया दाना से तैयार किए गए पाउडर का प्रयोग सम्पूर्ण भारत मे होता है। यह ग्रेवी,दालों, सुखी सब्जियों, लगभग सभी मे इस्तेमाल होता है। धनिया की खुश्बू तेज होती है। इसके स्थान पर अन्य मसाला का प्रयोग किया नही जाता है।

काली मिर्च/ सफेद मिर्च

कार्ली मिर्च का प्रयोग भोजन और दवाई में उपयोग किया जाता है। काली मिर्च एक पौधा फल है। इससे फल गुच्छों में होते है। इसका फल हरा होता है, पक ने पर लाल होता है और तोड़कर सूखने पर इसका रंग काला हो जाता है। कार्ली मिर्च अंदर से थोड़ी सफेद होती है।

सफेद मिर्च

काली मिर्च और सफेद मिर्च दोनो एक ही फसल के पौधे है। सफेद मिर्च का उपयोग आमतौर पर हल्के रंग व्यजनों जैसे कि सुप, सलाद, रेसिपी में भी लिया जाता है

जीरा

भारतीय रसोई में मिलने वाला एक आवश्यक मसाला जीरा है। जीरा का इस्तेमाल दालों, ग्रेवी, आचारों में भी होता है। जीरे को भून कर ओर पीस कर दही के रेसीपी में डाले जाते है।

भुना जीरा

भारतीय भोजन जो दही की रेसिपी है, इस मे भुना जीरा का इस्तेमाल दही की रेसिपी में एक अनोखा ही स्वाद देता है, जैसे चटनी, चाट, दही,छास, रायता इत्यादि।

भुना जीरा पाउडर

जीरे को भून कर पीस के एयर डिब्बे में आप रख सकते है। जब भी दही की डिश बनाते है या गर्मी में छास पीते समय यह भुना हुआ जीरा पाउडर का इस्तेमाल कर सकते है और यह आसन तरीका भी है।

काला जीरा


काला जीरा मुख्य रूप से उत्तर भारत मे प्रयोग होता है। इसका इस्तेमाल जीरे से थोड़ा अलग है।यह जीरे का उपयोग गरम मसाला बनाने में भी किया जाता है।

आमचूर पाउडर

उत्तर भारत मे खटाई का प्रयोग होता है। मुख्य रूप से सूखी सब्जियों को थोड़ा खट्टा स्वाद देने के लिए लिए किया जाता है। भोजन में खट्टा स्वाद लाने के लिए लिए नीबू का भी उपयोग होता है।

हींग

हींग की सुगंद बहुत तेज होती है। खाने में यह थोड़ी कड़वी होती है। बाजार में मिलने वाली पिसी हीग में चावल का आटा मिलाया जाता है,जिससे हींग की कड़वाहट को थोड़ा कम किया जा सके। हींग का इस्तेमाल गर्म तेल में किया जाता है। हींग बहुत ही लाभदायक पाचक है। शुध्द हींग पानी मे घोलने पर सफेद हो जाती है।

हड़

खड़ा मसाला के रूप में हड़ का इस्तेमाल होता है। जिसमे उपयोग अचार, चूर्ण में होता है। यह पेट के लिए लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।

मैथी दाना

मैथी दाना का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है, मेथी के पत्तियां का इस्तेमाल पराठा, ग्रेवी, नास्ते में होता है। मेथी का पौधा बारामासी होता है। जिसे आप बगीचे ओर घर पर आसानी से उगाया जा सकता है, डायबिटीज और पेट की बीमारियों के बचाव में मेथी का इस्तेमाल होता है।

सूखा पुदीना(पाउडर)

पुदीना स्वास्थ्य के लिए लिए फायदेमंद होता है। गर्मी में ठंडा होता होता है। पुदीने का पाउडर घर पर बनाना आसान है। अगर आप के आसपास या घर मे हरी पुदीना नहीं होता है तो आप पुदीना के पत्तियां को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर एयरबॉक्स में रख कर कभी भी उपयोग में ले सकते है।


तेज पत्ता

तेज पत्ते का इस्तेमाल मुख्तवे ग्रेवी, चावल,वेज ओर नॉनजेव भोजन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग सीधे पत्ते के रूप ही किया जाता है। तेज पत्ते को गरम मसाला में पिसा जाता है। तेज पत्ते की सुगंद बहोत ही अच्छी होती है, इसलिए छोले, राजमा, जैसे ग्रेवी से बनने वाली रेसिपी में इस्तेमाल किया जाता है।

अजवाइन

अजवाइन अच्छा पाचक है, इसका उपयोग युगों से आयुर्वेद में होता रहा है, अजवाइन सुगन्धित पाद है। इसका उपयोग चूर्ण, चाट मसाला, अचार, करी ओर बहोत सारी चीजों में भी किया जाता है।

चाट मसाला

चाट मसाला कई प्रकार के मसालों का संग्रह है, जिसमे काला नमक, नमक, अनारदाना, काली मिर्च, सोंठ, आमचूर पाउडर इत्यादि। चाट मसाले का उपयोग फलों, सलाद,अंकुरित चाट, पकोड़ी, स्नैक्स आदि में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते है।

गरम मसाला

गरम मसाला कई प्रकार के खड़े मसालों को मिलाकर तैयार किया जाता है। भारत मे अलग-अलग जगह पर बनाने की विधि अलग अलग हो सकती है। इस मसाले की सुगंद बहोत ही अच्छी होती है। इससे खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है।

जायफल


जायफल अंडाकार बीज होता है। जो लाल रंग के छाल से ढका रहता है। जिसे कुछ "जावित्री" के नाम से भी जानते है। जायफल और जावित्री दोनो हजारो वर्षों से इस्तेमाल होते आ रहे है। गरम मसाला बनाने में यह बहोत ही आवश्यक है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में दवाई बनाने में होता था। घरेलू इलाज में, बच्चों को ठंड लगने पर जायफल को घिस कर दूध के साथ दिया जाता है।

सरसो व राई

सरसो कई रंग की होती है।इसका पौधा बहोत ही उपयोगी है, काली सरसो आसानी से मिल जाती है। सरसो की पत्तिया का साग, भुजी, इत्यादि बनाई जाती है। सरसो दाने का प्रयोग तड़के, आचारों में औऱ भी चीजो में होता है। पश्चिम में सरसों का इस्तेमाल सॉस बनाने में किया जाता है।

मंगौड़ी

मारवाड़ी भोजन की जान मंगौड़ी होती है। मंगौड़ी को मूंगदाल के पेस्ट बनाया जाता है, बनाने के बाद मंगौड़ी को घूप में सुखाते है, बाद में डिब्बे में रखा जाता है। मंगौड़ी से कई भोजन बनते है, जिसमे मंगौड़ी की ग्रेवी,मंगौड़ी कढ़ी, मंगौड़ी आलू, मंगौड़ी सब्जी इत्यादि।

अनारदाना

अनार के दाने से तैयार किया हुआ मसाला है, जिसे अनारदाना मसाला कहा जाता है। अनार के दानों को सुखाकर,पीसकर बनाया जाता है,इसका स्वाद खट्टा होता है जो भोजन में खटास लाने के लिए होता है, औऱ चूर्ण में भी प्रयोग होता है।

केसर

केसर का दूसरा नाम जाफरान के नाम से भी जाना जाता है। केसर सबसे मंहगा मसाला है,लेकिन बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल करने पर भी यह खाने में बहुत खुसबू, स्वाद देता है। जीसका इस्तेमाल मिठाई, पुलाव, ग्रेवी, दूध, खीर, दूध से बनी मिठाइयों के साथ केसर को दूध और पानी मे केसरिया रंग पीने में उपयोग करते है।केसर के फूल में सिर्फ 3 ही तार निकलते है।

सेंंधा नमक

सेंधा नमक को नमक का शुध्द रूप माना जाता है। सेंधा नमक एक खनिज है। सेंधा नमक को खाने योग्य बनाने के लिए किसी भी केमिलक प्रोसेस से नही गुजरना पड़ता है। सेंधा नमक को हिमालय नमक, सिंधा नमक, लाहौरी नमक, मराठी में शेंडे लोन, के नाम भी जाना जाता है। सेंधा नमक खाने के फायदे दूसरे नमक के मुक़ाबले ज्यादा फायदेमंद होता है।

पुदीना

पुदीना मेथी वंश से संबंधित एक बारामासी जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियों पाई जाती है। पुदीने का उपयोग दवाइयों, सौन्दर्य प्रंसाधनो,पेय पदार्थ, सिगरेट, पान मसाला में खुसबू, गैस(गैस्टिक) दूर करने के लिए लिए,गठिया आदि में उपयोग होता है।

सौफ(वलयारी)

सौफ(वलयारी) को आप ने होटल, ढाबा,रेस्टोरेंट में भोजन करने के बाद देते है। वास्तम में छोटा दिखाई देने वाला यह सॉफ बहोत ही गुणकारी है।आयुर्वेद में वात तथा पित्त को शांत करता है। भूख बढ़ता है,भोजन पचाता है, वीर्य की वुद्धि करता है। हदय, मस्तिष्क और शरीर के लिए लिए फायदेमंद होता है। यह बुखार,गठिया, दर्द, आखो, रोग, योनि में दर्द, कब्ज आदि समस्या के लिए लिए फायदेमंद होता है।

जायफल/जावित्री

जायफल एक मसाला है,जायफल का पेड़ एक होता है पर यह पेड़ से दो अलग मसाले होते है। जी,हा जायफल का पेड़ सदाबहार पेड़ है। जो "जायफल' ओर "जावित्री' दोनो का ही उत्पादन करता है। जायफल, फल के अंदर पाई जाने वाली गुठली(बीज) है,जबकि "जावित्री' गुठली पर आधारित जालीदार परत(बिजचोल) है,जायफल का उपयोग मिठाई, स्वादिष्ट भोजन में किया जाता है।


दालचीनी

दालचीनी की छाल मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है, यह स्वादिष्ट भोजन बनाने के लिए लिए यह मसाला कार्य रूप है। दालचीनी का उपयोग मसाले, मिठाई, सूप आदि में इस्तेमाल किया जाता है। खड़े मसाले के रूप में यह छाल को सीधा ही रसोई बनाने में उपयोग किया जाता है कुछ लोग पाउडर के रूप में भी इस्तेमाल करते है।

लौंग

लौंग का उपयोग पीसकर, या साबुत ही रसोई बनाने में प्रयोग किया जाता है। लौंग भिन्न भिन्न व्यजनों में सुगंद बढ़ाने के लिए इसके अलावा आयुर्वेद गुण होने से, दाँत का मंजन, साबुन, इत्र वेनिला, तेल का प्रयोग दवा के रूप में उपयोग होता है। फूल और डंठल का भी उपयोग में लिया जाता है।

खसखस

खसखस एक ऐसा फूड है, जो किसी भी व्यजंन का स्वाद बढ़ाने का काम करता है। छोटे छोटे बीज वाला यह फूड सेहत के लिए बहोत ही फायदेमंद है, जिसमे कैलोरी, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम,फॉस्फोरस, ओर आयर्न भरपूर मात्रा में पाए जाते है। खसखस कब्ज, मुह के छाले जैसी समस्या से लाभ दिलाता है।

कलौंजी

कलौंजी दिखने में छोटी काले रंग की होती है। कलौंजी का पौधा झाड़िय पौधा है। इसका फल बड़े गेंदे आकार का होता है। इसका उपयोग औषधि, सोंदर्य प्रसाधन, मसाले व सुगंद के लिए पकवान में लिया जाता है। पोषकतत्वों से भरपूर है।


शाहजीरा

शाहजीरा जीरे की एक किस्म है। नाम वैसे ही गुण भी होता है,शाह जीरा कुछ पतला,लम्बा ओर अनोखी सुगंद के लिए जाना जाता है। इसका सियाह जीरा है जो इसके काले रंग का परिचायक है। इसे काली जीरा भी कहा जाता है।शाहजीरा का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। सफेद जीरा दाल-सब्जी में छौक लगाने में काम आता है।

लाल मिर्च का तीखापन कैप्सेसिन के कारण होता है। मिर्ची का रंग भी केप्सेन्थिन के कारण ही होता है। इसका जन्म दक्षिण अमेरिका है, आज पूरे विश्व मे अलग अलग किसमे उगाई जाती है।मिर्च का उपयोग ओषधि के रूप में किया जाता है। मिर्च में विटामिन ए प्राप्त होता है।

हरी मिर्च

हरी मिर्च कैप्सिकम का पादक फल माना जाता है, वनस्पति में विज्ञान में भी इसे पौधे को एक बेरी की झाड़ी समझा जाता है। मीर्च स्वाद में तीखा,जिस कारण इसे सब्जी या एक मसाले के रूप में किया जाता है। मिर्च की प्राप्ति के लिए इसकी खेती की जाती है।

नारियल

नारियल की तासीर ठंडी होती है। सूखे नारियल तेल निकाला जाता है। बचा हुआ सफेद नारियल का हिस्सा को मिठाई के ऊपर, कोपरा पाक,हलवा रेसिपी में गार्नेश करने ले लिए। ओर प्रसाद में भी उपयोग में लिया जाता है। नारियल का पानी हल्का, वीर्यवर्धक, मूत्र साफ करने में बहोत हो फायदेमंद होता है। आंतो की कृमि, नारियल मोटापा से बचाता है, जैसी अनेक बीमारी का रामबाण इलाज है।

कढ़ी पत्ता(मीठा निम

कढ़ी पत्ता को मीठा निम से भी जाना है, मुख्य रूप से खट्टी ग्रेवी वाले व्यजनों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियां आयुर्वेद में जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।मुख्य रूप से रसेदार व्यजनों, रसम, कढ़ी, जैसे ओर छौक लगाते समय तेल में या सूखा या चटपटा चाट में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है।

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