Hariyali teej-हरियाली तीज

हरियाली तिज

हरियाली तीज

का त्यौहार सावन मास में शुक्ल पक्ष तृतीय को मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्यौहार महिलाओ का त्यौहार है। सावन में जब सम्पूर्ण धरती हरि चादर से पहनी हो वैसे हरि भरी दिखने लगती है। उस अवसर पर महिलाओं के मन मे मयूर नृत्य करने लगते है। पेड़ की शाखा में झूले पड़ जाते है।

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हरियाली तीज का मतलब है कि सावन मास की तृतीय पक्ष में महिलाएं शिव-पार्वती माता का विशेष पूजन करती है। वही हरियाली तीज कहा जाता है। यह व्रत करने से माता पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दिघार्यु होने का आशीर्वाद देती है। यह त्यौहार तीन दिन का है लेकिन समय की कमी की वजह से लोग इसे एक ही दिन मनाते है। इसमे पतिव्रता महिला ऐ निर्जला व्रत रखती है।


हरियाली तीज पर तिज यानी त्योहार में अगर पकवान न होतो त्यौहार सुना सुना लगता है। ऊपर से यह त्यौहार महिला का होने से हरियाली तीज पर आप पकवान में खास तरह के घेरव, खीर, पूरी, हलवा, दालबाटी, चूरमा, गुझियां,काजू बर्फी जैसे मिष्ठान बनाएं जाते है। आइए अलग अलग रेसिपी कैसे ओर आसानी से बनाते है वह जानते है।

घेवर

१) घेवर बनाने के लिए सबसे पहले आप एक बर्तन में घी लेकर उसमे बर्फ के कुछ टुकड़े डाले और उसे हाथ से फेटे जब घी क्रीम जैसी दिखने लगे तो फिर से बर्फ निकाल दे और घी को एकबार फिर से फेट ले। जब घी क्रीम जैसे लगने लगे तो उसमे आधा मैदा डाले और फिर से फेटे।

२) जब मैदा अच्छी तरह से मिल जाएं तो बचा हुआ मैदा भी उसमे मिला ले और दूध और पानी मिलाकर अच्छी तरह से फेट ले इस बात का ध्यान रहे कि मिश्रण में गुठली नही रहनी चाहिए और घोल बिलकुल एकसार होना चाहिए।

३) साथ ही वह इतना पतला होना चाहिए कि चम्मच में लेकर गिराने से एक पतली धार बनकर गिरना चाहिए।

४) घोल तैयार होने पर एक पतला लेकिन मोटे तले का गहरा सा भगोना ले और उसमे करीब आधा भगोना घी भरकर गर्म करें। घी गरम होने पर एक बड़े चम्मच में मैदे का घोल भगोने में गोलाई आकर में गिराएं। घोल इतना गिराएं की भगोना में गोलाई में एक परत जैसी बन जाएं।

५) मेदे का यह मिश्रण अब घी के ऊपर तैरने लगेगा। अगर मैदा बीच मे जमा हो रहा तो उसे छरी या चम्मच से किनारे की ओर कर दे और मिश्रण के बीच मे।एक बड़ा सा छेद कर दे।

६) करीब दो मिनिट के बाद फिर से मेदे का घोल गोलाई से भगोने में डाले और एक के ऊपर एक करके दो या तीन जितनी मिटाई आप चाहे बना सकते है। जब घेवर की परत भगोने में मनचाहे साइज की बन जाए तो फिर से उस पर मेदे का घोल न डाले और उसे सुनहरा होने तक अछे से सेक ले। सुनहरा होने पर घेवर के बने छेद में चाकू या सिंक डालकर निकाल ले ओर उसे किसी बर्तन के ऊपर लटका कर रख दे जिससे उसका अतिरिक्त सारा घी निकल जाएं।

७) अब आपके घेवर बनकर तैयार है। बस इनके ऊपर रबड़ी की एक परत लगाएं और ऊपर से कटे हुए बादाम पिस्ता छिड़क कर सर्व करें।



दालबाटी

◆ दालबाटी बनाने के लिए एक बड़ी परत में गेहूं का आटा छान लें और इसमे सूजी, बेकिंग सोडा, घी या तेल ओर नमक डालें।

◆ सारी सामग्री को खूब अछी तरह से मिक्ष कर ले। अब इसमे थोड़ा थोड़ा करके दूध डाले और सख्त आटा गूंथ लें। यह पराठे के आटे से थोड़ा ज्यादा सख्त होना चाहिए अब इसे ढककर 15 से 20 मिनिट के लिए रख दे।

◆ अब आटे को बराबर भागो में बाट ले और उन्हें गोले का आकार दे। अगर आटे के गोले में कुछ दरारे है तो इसकी चिंता ना करे यह बिलकुल सामान्य है। हर एक गोले को बारी बारी से अपनी हथेलियों के बीच मे दबाएं ओर इन्हें एक बेकिंग ट्रे पर रख दे।

◆ बैंकिंग ट्रे को पहले से गर्म ओवन में रखे और 190°c पर पकने दे कब नीचे की सतह से हल्के भूरे रंग की हो जाएं तो बैंकिंग ट्रे को बाहर निकाले,इसमे करीब 12 से 15 मिनिट का समय लगेगा।

◆ अब हरेक बाटी को पलटे ओर फिर से बैंकिंग ट्रे ओवन में रख दे इन्हें 10 से 12 मिनिट के लिए या जब तक नीचे की सतह सुनहरे भूरे रंग की हो जाए तब तक पकने दे। अब ट्रे को ओवन से बाहर निकाले।

◆ छोटी बाउल में पिघला हुआ घी लो और पत्येक बाटी को घी में डुबाकर एक थाली में रखे अब बाटी को तोड़े ओर उसके ऊपर थोड़ा सा घी डाले। और उसके ऊपर पंचमेल दाल डाले और राजस्थानी चूरमा, लसुन की चटनी ओर पापड के साथ सर्व करें।












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